मीत की कलम से
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एक पल में पकड़ लेता है, हमारी खामियों को….
दूजे पल में वो सारी, गलतियाँ सुधार देता है….
गुरू के पास होती है, अद्भुत ज्ञान की पूंजी….
बिना कोई शर्त, वो हर ज्ञान उधार देता है….
जलता रहता है वो हर दिल में, किसी दीपक की तरह….
अंधेरे रास्तों में हमें, उजियारा दिखा देता है….
कितना मुश्किल ही क्यूँ न हो, जिन्दगी का सफर….
ठोकरें खाकर, फिर से चलना सिखा देता है….
माँ बाप हो, या हो कोई बुजुर्ग साधु संत….
हर किसी के पास, ज्ञान का एक भंडार होता है….
शिक्षक के अलावा भी, गुरू के रुप बहुत हैं….
मिल जाए सच्चा गुरू तो, जीवन साकार होता है….
समस्त माता पिता एवं गुरूओं को शत् शत् नमन
_अमित ‘मीत’
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