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केवल भारत रत्न नहीं, वो सबके दिल का राजा था !
इतनी जल्दी खो बैठेंगे, हमें नहीं अंदाजा था !!
मौत पे उनकी फ़ूट फूट कर, आसमान भी रोया है !
हिंद देश ने फ़िर से अपने, कोहिनूर को खोया है !!
बचपन में अखबार बेचकर, शिक्षा अपनी पूरी की !
माँगी नहीं रियायत कोई, गरीबी या मजबूरी की !!
अपने दम पर उसने अपना, हर सपना संजोया है !
हिंद देश ने फ़िर से अपने, कोहिनूर को खोया है !!
अग्नि, पृथ्वी और आकाश की, भारत को सौगात दी !
नाग, त्रिशूल, ब्रम्होस नाम की, मिसाईलें ईजाद की !!
परमाणु परीक्षण करके, नया बीज एक बोया है !
हिंद देश ने फ़िर से अपने, कोहिनूर को खोया है !!
राजनीति से वो दूर रहा, पर देश का वो सरताज बना !
नीति और न्याय का द्योतक, उनका हर अल्फ़ाज बना !!
जाते वक्त भी हर पार्टी को, धागे में पिरोया है !
हिंद देश ने फ़िर से अपने, कोहिनूर को खोया है !!
सुना है मैंने, मिसाईल से भी डेंजर उनकी मुस्कान थी !
लहराती हुयी जुल्फ़ें उनकी, मानो एक तूफ़ान थी !!
दुश्मन के अरमानों को भी, अंदाज से अपने धोया है !
हिंद देश ने फ़िर से अपने, कोहिनूर को खोया है !!
जो खुद ही #कलाम हैं यारों, उन पर क्या कलाम लिखूँ !
सोंच रहा हूँ कलम से अपनी, उनको एक सलाम लिखूँ !!
आज आपकी रुखसत पर, इस ‘मीत’ का दिल भी रोया है !
हिंद देश ने फ़िर से अपने, कोहिनूर को खोया है !!
– अमित ‘मीत’
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