मीत की कलम से
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एक तरफ वो इंडिया है, जहाँ लोग कार में चलते हैं !
एक तरफ मेरा भारत है, झुग्गी में बच्चे पलते हैं !!
एक तरफ है मेट्रो सिटी, जहाँ आया रखी जाती है !
एक तरफ मजदूर की बिटिया, खुद आया बन जाती है !!
एक तरफ डायनिंग टेबल पर, छप्पन भोग विराजे हैं !
एक तरफ टुटी थाली है, रोटी के भी लाले हैं !!
एक तरफ कान्वेंट के छात्र, एसी कमरों में पढते हैं !
एक तरफ स्कूली बच्चे, झाड़ू पोंछा करते हैं !!
एक तरफ पढने की खातिर, कंप्यूटर लैपटॉप है !
एक तरफ मैले हाथों में, फ़टी हुयी किताब है !!
एक तरफ गार्डन प्यारा सा, रंग बिरंगे झूले हैं !
एक तरफ गिल्ली डंडे में, बच्चे सुध बुध भूले हैं !!
सच कहता हूँ जिस दिन देश में, अंतर ये मिट जाएगा !
मेरा भारत सोन चिरैया, विश्वगुरू कहलाएगा !!
– अमित ‘मीत’
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