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15 अगस्त सन् सैंतालिस को, देश मेरा आजाद हुआ !
भारत माँ के टूकडे हो गये, ऐसा बर्बर आगाज हुआ !!
आजादी के बाद भी अब तक, सिसक रही है भारत माता !
संतानों का रक्त देखकर, बिलख रही है भारत माता !!
जो भारत में रहने आया, उसे अपना बेटा सोंच लिया !
अफ़गानों को दिया सहारा, मुगलों को भी गोद लिया !!
अपनी उस ममता की सजाएँ, भुगत रही है भारत माता !
संतानों का रक्त देखकर, बिलख रही है भारत माता !!
अंग्रेजों की कूटनीति का, दंश सहा कई सालों तक !
पहुँच रही थीं करुण पुकारें, भारत माँ के लालों तक !!
भगतसिंह की चाह में फ़िर से, भटक रही है भारत माता !
संतानों का रक्त देखकर, बिलख रही है भारत माता !!
आतंकवाद के साये में है, धरती हिंदुस्तान की !
नक्सलवादी मिटा रहे हैं, खुशियाँ गुलिस्तान की !!
बरसों से अंदर ही अंदर, सुलग रही है भारत माता !
संतानों का रक्त देखकर, बिलख रही है भारत माता !!
– अमित ‘मीत’
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