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बिटिया की बिदाई

मीत की कलम से
मीत की कलम से
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लालच की घोड़ी पे बैठा, बेटा एक इकलौता आज !

धन के लोभी करने चले हैं, बेटे का ही सौदा आज !!

बाज रहे हैं ढोल नगाड़े, बाज रही शहनाई है !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

घर में जितने गहने थे, सब कुछ बाबा ने तोल लिया !

जिस दिन बेटी पैदा हुयी थी, बैंक में खाता खोल लिया !!

बेटी की शादी की खातिर, जोडी पाई पाई है !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

टीवी कूलर रेफ़्रिजरेटर की, करता यहाँ पे माँग कोई !

दूल्हे की खातिर स्कूटर की, करता है डिमांड कोई !!

बडी मुश्किल से बाबुल ने, ये सारी चीजें जुटायी हैं !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

सास जेठानी बाकी हैं अभी, दूल्हे की बहनें बाकी हैं !

साडी ब्लाऊज बाकी हैं, नये जेवर गहनें बाकी हैं !

जाने कितनी ही सौगातें, मायके ने गंवायी हैं !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

घर के बाहर दूर दूर तक, सजे हुए शामियाने हैं !

बेटी की रुखसत पर सबको, छप्पन भोग जिमाने हैं !!

जयपुर से रसगुल्ले आए, कलकत्ते की मिठाई है !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

इतने पर भी गर कोई ख्वाहिश, बाकी उनकी रह जाएगी !

शादी के बाद वो बिटिया अपने, मायके से ले आएगी !!

घर की बिटिया लक्ष्मी बनकर, ससुराल में गयी भिजायी है !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

गर वो बेटी कर ना पायी, माँग पूरी ससुराल की !

हो जाएगी उसकी किस्मत, बिलकुल ही बदहाल सी !!

हर पल उसके मायके की, होने वाली रुसवाई है !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

बेटा घर को दे ना सकी तो, हर दिन कोसी जाएगी !

नि:संतान अगर वो हो तो, बांझ सदा कहलाएगी !!

दहेज और वारिस के नाम पर, बहुएँ गयी जलायी हैं !

ना जाने किस घर में आज, बिटिया की बिदाई है !!

– अमित ‘मीत’

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