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बचपन से जहाँ पली बढी थी, आँगन सारा छूट गया !
माँ की उंगली छूट गयी, बाबा का सहारा छूट गया !!
गुमसुम सी बैठी डोली में, भूल गयी किलकारी बिटिया !
सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!
कौन बांधेगा राखी उसको, सोंच के भाई रुठ गया !
आँसू बहाता बैठा कोने में, बाँध सब्र का टूट गया !!
अपना दर्द किसे बतलाए, आँसू बहाती जा रही बिटिया !
सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!
बचपन से जो घर में सहेजे, गुड्डे गुड़िया छूट गये !
लडकर जो भाई से छीने, सारे खिलौने टूट गये !!
बचपन की यादों को समेटे, बोने चली फ़ुलवारी बिटिया !
सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!
राजा रानी की वो कहानी, दादा दादी संग छूट गयी !
मेकअप की वो छोटी थैली, घर पे देखो छूट गयी !!
छोड़ के चुन्नी पहन चली है, चुनर एक रतनारी बिटिया !
सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!
– अमित ‘मीत’
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