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बाबुल की दुलारी बिटिया

मीत की कलम से
मीत की कलम से
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बचपन से जहाँ पली बढी थी, आँगन सारा छूट गया !

माँ की उंगली छूट गयी, बाबा का सहारा छूट गया !!

गुमसुम सी बैठी डोली में, भूल गयी किलकारी बिटिया !

सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!

कौन बांधेगा राखी उसको, सोंच के भाई रुठ गया !

आँसू बहाता बैठा कोने में, बाँध सब्र का टूट गया !!

अपना दर्द किसे बतलाए, आँसू बहाती जा रही बिटिया !

सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!

बचपन से जो घर में सहेजे, गुड्डे गुड़िया छूट गये !

लडकर जो भाई से छीने, सारे खिलौने टूट गये !!

बचपन की यादों को समेटे, बोने चली फ़ुलवारी बिटिया !

सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!

राजा रानी की वो कहानी, दादा दादी संग छूट गयी !

मेकअप की वो छोटी थैली, घर पे देखो छूट गयी !!

छोड़ के चुन्नी पहन चली है, चुनर एक रतनारी बिटिया !

सज धज कर ससुराल चली है, बाबुल की दुलारी बिटिया !!

– अमित ‘मीत’

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