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गुरदासपुर आतंकी हमले पर मेरी कविता

मीत की कलम से
मीत की कलम से
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आए थे आज तीन दरिंदे, पाकिस्तान की बॉर्डर से !
हथियारों से लैस खड़े थे, जाने किसके ऑर्डर से !!
गुरदासपुर में आए पहेले, कटरा की बस को घेरा था !
दीनापुर के थाने में, डाला उन सब ने डेरा था !!

कटरा वाली बस में उन्होंने, जमकर गोलियाँ बरसायी थी !
टैम्पो पर कब्जा करने को, हर कोशिश अपनायी थी !!
जैसे तैसे उन लोगों ने, लूट लिया एक कार को !
डाल दिए सब बम बंदूकें, डाल दिया हथियार को !!

दीनापुर जाने की सबने, तगड़ी थी तैयारी की !
पहुँच के थाने उन लोगों ने, जमकर गोलीबारी की !!
शहीद हुए कुछ पुलिस के लोग, दो कैदी भी ढेर हुए !
जमा लिया कब्जा थाने में, बिना जरा भी देर किए !!

अस्पताल में गोलियाँ दागीं, मरीज बहुत से घायल हुए !
बंद पडी दुकानों पर भी, जाने कितने फ़ायर हुए !!
जाने क्या मनसूबा था, जाने उनकी क्या ख्वाहिश थी !
किसने थे हथियार दिए, किसकी ये गहरी साजिश थी !!

पुलिस बल ने घेरा डाला, सेना ने भी साथ दिया !
स्वॉट के सिख्ख जाँबाजों के संग, आतंकियों को मार दिया !!
लेकिन इस मुटभेड़ में आज, बहुत से लोग शहीद हुए !
लडते लडते आतंकियों से, अमर एसपी बलजीत हुए !!

आज देश की सुरक्षा पर, फ़िर से सवाल उठा देखो !
भारत माँ का आँचल आज, खून से लाल हुआ देखो !!
टीवी चैनल्स पर चर्चा है, केवल नेताओं और बयानों की !
फिकर नहीं है यहाँ किसी को, शहीद हुए जवानों की !!

उम्मीद यही है, मुल्क से मेरे आतंक का नामो निशान मिटे !
इंसानों की बस्ती से, शैतानियत का नाम हटे !!
आतंकियों का हो खात्मा, शांति बरकरार हो !
अच्छे दिनों का सपना हमारा, जल्दी ही साकार हो !!

– अमित ‘मीत’

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